मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है,
मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है,
ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे,
मेरे जख्म को गमे-जुदाई ढूँढ लेती है!