एक पुरानी कहावत है.

एक पुरानी कहावत है…

*चोर को खाँसी और संत को दासी*

मुसीबत में डाल देती है।
……..,…………..,……

*प्यार* देने से *बेटा* बिगड़े
*भेद* देने से *नारी*

*लोभ* देने से *नोकर* बिगड़े
*धोखा* देने से *यारी*

ये बात *जनहित* में जारी ।
*गुण* मिले तो *गुरु* बनाओ, *चित्त* मिले तो *चेला,*
*मन* मिले तो *मित्र* बनाओं, *वर्ना* रहो *अकेला* 👏

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आज का सुविचार

*आज का सुविचार*

किसी बेवकूफ व्यक्ति से घण्टो बहस करने से अच्छा है कि
उस व्यक्ति को

*भाग भोसड़ी के*
बोलकर आप बहस खत्म कर सकते हैं।
समय बचेगा….😂

करके देखिए.. अच्छा लगता है…😜😂

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​आज का बिचार

आज का बिचार

1—काम का आलस और पैसों का लालच , हमें महान बनने नही देता ।

2— टूटी कलम और –औरों से जलन

खुद का भाग्य लिखने नही देती ।

3— पैरों की मोच और छोटी सोच  हमे आगे बढने नही देती ।

4— कर्मों से ही पहचान होती है इंसानो की—–मंहगे कपड़े तो पुतले भी पहनते हैं दुकानों में ।
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एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी

*🐿एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗*
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗
*क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗*
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗

गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗

गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी

भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗
*ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था❗*
ऐसे ही समय बीतता रहा ….

एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗
*गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓*
पूरी जिन्दगी काम करते – करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗
*यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗*
इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,

पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗
*60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗*
तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,

परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗
क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : –
*कितनी इच्छायें मरी होंगी❓*

*कितनी तकलीफें मिली होंगी❓*

*कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓*
क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक  बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका

भोग खुद न कर सके❗
*इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗*
इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,

पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗
मौज लो, रोज लो❗

नहीं मिले तो खोज लो‼
*BUSY पर BE-EASY भी रहो❗*

​एक मनोवैज्ञानिक ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में

एक मनोवैज्ञानिक ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में, अपने दर्शकों को समझाया..
उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया…

 

(सभी ने समझा की अब “आधा खाली या आधा भरा है”.. यही पूछा और समझाया जाएगा… )
मगर मनोवैज्ञानिक ने पूछा.. कितना वजन होगा इस ग्लास में भरे पानी का… ? ?
सभी ने… 300 से 400 ग्राम तक अंदाज बताया…
मनोवैज्ञानिक ने कहा…

कुछ भी वजन मान लो…

फर्क नहीं पड़ता…
फर्क इस बात का पड़ता है… कि मैं कितने देर तक इसे उठाए रखता हूँ…
अगर मैं इस ग्लास को एक मिनट तक उठाए रखता हूँ… तो क्या होगा ?
शायद कुछ भी नहीं…
अगर मैं इस ग्लास को एक घंट तक उठाए रखता हूँ…

तो क्या होगा?
मेरे हाथ में दर्द होने लगे… और शायद अकड़ भी जाए…
अब अगर मैं इस ग्लास को एक दिन तक उठाए रखता हूँ… तो ? ?
मेरा हाथ…

यकीनऩ, बेहद दर्दनाक हालत में होगा, हाथ पैरालाईज भी हो सकता है और मैं हाथ को हिलाने तक में असमर्थ हो जाऊंगा…
लेकिन…

इन तीनों परिस्थितियों में ग्लास के पानी का वजन

न कम हुआ… न ज्यादा..
“चिंता और दुःख का भी जीवन में यही परिणाम है”…।
यदि आप अपने मन में इन्हें एक मिनट के लिए रखेंगे…
आप पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा…
यदि आप अपने मन में इन्हें एक घंटे के लिए रखेंगे…
आप दर्द और परेशानी महसूस करने लगेंगें…
लेकिन

यदि आप अपने मन में इन्हें पूरा पूरा दिन बिठाए रखेंगे…
ये चिंता और दुःख…

हमारा जीना हराम कर देगा… हमें पैरालाईज कर के कुछ भी सोचने – समझने में असमर्थ कर देगा…
और याद रहे…

इन तीनों परिस्थितियों में चिंता और दुःख…

जितना था,  उतना ही रहेगा…

इसलिए…

यदि हो सके तो…

अपने चिंता और दुःख से भरे “ग्लास” को…
एक मिनट के बाद…
नीचे रखना न भूलें…
||  सुखी रहें, स्वस्थ रहें ||
*Power of  Positive  Thinking*??????