छीन ली हमारी मोहब्बत

छीन ली हमारी मोहब्बत…

खामोश फ़िज़ा थी कोई साया न था,
इस शहर में मुझसा कोई आया न था,
किसी ज़ुल्म ने छीन ली हम से हमारी मोहब्बत,
हमने तो किसी का दिल दुखाया न था।