तेरे सीने से लग कर तेरी आरज़ू बन जाऊ

तेरे सीने से लग कर तेरी आरज़ू बन जाऊ
तेरी सांसो से मिलकर, तेरी खुशबु बन जाऊ
फासले ना रहे कोई हम दोनों के दरमियाँ में
में ना रहुँ बस “तुम” बन जाऊ

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जो कुछ भी मिला है उसी में खुश हूँ

” जो कुछ भी मिला है उसी में खुश हूँ
में तेरे लिए खुदा से तकरार नहीं करती
पर कुछ तो बात है तेरी फितरत में ज़ालिम
वरना तुझे चाहने की खता बार – बार नहीं करती…!! “

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अगर तुम कहो तो मैं फूल बन जाऊं

अगर तुम कहो तो मैं फूल बन जाऊं,
ज़िंदगी का तुम्हारी एक उसूल बन जाऊं,
सुना है की रेत पर चलने से तुम महक जाते हो,
कहो तो अबके ज़मीन की धूल ही बन जाऊं,

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