ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
किसी ने हमसे पूछा कि तुम हर रोज
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?? *किसी ने हमसे पूछा कि तुम हर-रोज सुबह “गुड मॉर्निंग”* ??
?? *करके सबको याद करते हो,* ??
?? *तो क्या*??
?? *वो भी तुम्हे याद करते हैं.?* ??
?? *हमने कहाः* ??
?? *मुझे रिश्ता निभाना है,* ??
?? *मुकाबला नहीं करना..* ??
?? *हम सबके “दिलों” में रहना चाहते हैं,*??
?? *”दिमाग” में नहीं।*??
?? *”दुनियां के रेन बसेरे में..*??
?? *पता नही कितने दिन रहना है”* ??
?? *”जीत लो सब के दिलो को…* ??
?? *बस यही जीवन का गहना है”..!!* ??
Good morning
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Morning Bell
एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था
*एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था।*
*जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुच जाता।*
*पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता।*
*उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया।*
*बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया।*
*कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।*
*आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता।*
*एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा,*
*”तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।”*
*बच्चे ने आम के पेड से कहा,*
*”अब मेरी खेलने की उम्र नही है*
*मुझे पढना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।”*
*पेड ने कहा,*
*”तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे,*
*इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।”*
*उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।*
*उसके बाद फिर कभी दिखाई नही दिया।*
*आम का पेड उसकी राह देखता रहता।*
*एक दिन वो फिर आया और कहने लगा,*
*”अब मुझे नौकरी मिल गई है,*
*मेरी शादी हो चुकी है,*
*मुझे मेरा अपना घर बनाना है,इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।”*
*आम के पेड ने कहा,*
*”तू मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,उससे अपना घर बना ले।”*
*उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।*
*आम के पेड के पास अब कुछ नहीं था वो अब बिल्कुल बंजर हो गया था।*
*कोई उसे देखता भी नहीं था।*
*पेड ने भी अब वो बालक/जवान उसके पास फिर आयेगा यह उम्मीद छोड दी थी।*
*फिर एक दिन अचानक वहाँ एक बुढा आदमी आया। उसने आम के पेड से कहा,*
*”शायद आपने मुझे नही पहचाना,*
*मैं वही बालक हूं जो बार-बार आपके पास आता और आप हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।”*
*आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,*
*”पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुम्हे दे सकु।”*
*वृद्ध ने आंखो मे आंसु लिए कहा,*
*”आज मै आपसे कुछ लेने नही आया हूं बल्कि आज तो मुझे आपके साथ जी भरके खेलना है,*
*आपकी गोद मे सर रखकर सो जाना है।”*
*इतना कहकर वो आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।*
*वो आम का पेड़ हमारे माता-पिता हैं।*
*जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।*
*जैसे-जैसे बडे होते चले गये उनसे दुर होते गये।*
*पास भी तब आये जब कोई जरूरत पडी,*
*कोई समस्या खडी हुई।*
*आज कई माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।*
*जाकर उनसे लिपटे,*
*उनके गले लग जाये*
*फिर देखना वृद्धावस्था में उनका जीवन फिर से अंकुरित हो उठेगा।*
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एक मनोवैज्ञानिक ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में
एक मनोवैज्ञानिक ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में, अपने दर्शकों को समझाया..
उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया…
(सभी ने समझा की अब “आधा खाली या आधा भरा है”.. यही पूछा और समझाया जाएगा… )
मगर मनोवैज्ञानिक ने पूछा.. कितना वजन होगा इस ग्लास में भरे पानी का… ? ?
सभी ने… 300 से 400 ग्राम तक अंदाज बताया…
मनोवैज्ञानिक ने कहा…
कुछ भी वजन मान लो…
फर्क नहीं पड़ता…
फर्क इस बात का पड़ता है… कि मैं कितने देर तक इसे उठाए रखता हूँ…
अगर मैं इस ग्लास को एक मिनट तक उठाए रखता हूँ… तो क्या होगा ?
शायद कुछ भी नहीं…
अगर मैं इस ग्लास को एक घंट तक उठाए रखता हूँ…
तो क्या होगा?
मेरे हाथ में दर्द होने लगे… और शायद अकड़ भी जाए…
अब अगर मैं इस ग्लास को एक दिन तक उठाए रखता हूँ… तो ? ?
मेरा हाथ…
यकीनऩ, बेहद दर्दनाक हालत में होगा, हाथ पैरालाईज भी हो सकता है और मैं हाथ को हिलाने तक में असमर्थ हो जाऊंगा…
लेकिन…
इन तीनों परिस्थितियों में ग्लास के पानी का वजन
न कम हुआ… न ज्यादा..
“चिंता और दुःख का भी जीवन में यही परिणाम है”…।
यदि आप अपने मन में इन्हें एक मिनट के लिए रखेंगे…
आप पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा…
यदि आप अपने मन में इन्हें एक घंटे के लिए रखेंगे…
आप दर्द और परेशानी महसूस करने लगेंगें…
लेकिन
यदि आप अपने मन में इन्हें पूरा पूरा दिन बिठाए रखेंगे…
ये चिंता और दुःख…
हमारा जीना हराम कर देगा… हमें पैरालाईज कर के कुछ भी सोचने – समझने में असमर्थ कर देगा…
और याद रहे…
इन तीनों परिस्थितियों में चिंता और दुःख…
जितना था, उतना ही रहेगा…
इसलिए…
यदि हो सके तो…
अपने चिंता और दुःख से भरे “ग्लास” को…
एक मिनट के बाद…
नीचे रखना न भूलें…
|| सुखी रहें, स्वस्थ रहें ||
*Power of Positive Thinking*??????
एक बच्चा अपनी माँ से बुरी तरह से पीटने के बाद
सावन में लड़कियां मंदिर जाती हैं
पत्नि मायके से वापिस आयी
कन्या का बाप क्या करते हो
बूढी औरत डॉक्टर से मुझे गैस की प्रॉब्लम
बूढी औरत डॉक्टर से – मुझे गैस की प्रॉब्लम है
पर अच्छी बात ये है की मेरी गैस में ना बदबू आती है ना आवाज़
आप के क्लिनिक में भी दस बार गैस छोड़ चुकी हूँ
पर किसी को पता नहीं चला …..
–
डॉक्टर ये दवा लीजिये और एक हफ्ते बाद आना है….
(एक हफ्ते बाद)
–
बूढी औरत – ये आपने मुझे कैसी दवाई दे दी ?
मेरी गैस में आवाज़ तो नहीं आ रही
पर बहुत जहरीली बदबू आ रही है…..
–
डॉक्टर – बहुत बढ़िया, आपकी नाक ठीक हो गई!
अब हम आपके कान का इलाज़ करेंगे ।?????