*🚩🔱बनारस🔱🚩*
🔱कोई नहीं समझ पाया है, महिमा अपरम्पार बनारस।
🔱भले क्षीर सागर हों विष्णु, शिव का तो दरबार बनारस।।
🔱हर-हर महादेव कह करती, दुनिया जय-जयकार बनारस।
🔱माता पार्वती संग बसता, पूरा शिव परिवार बनारस।।
🔱कोतवाल भैरव करते हैं, दुष्टों का संहार बनारस।
🔱माँ अन्नपूर्णा घर भरती हैं, जिनका है भण्डार बनारस।।
🔱महिमा ऋषि देव सब गाते, मगर न पाते पार बनारस।
🔱कण-कण शंकर घर-घर मंदिर, करते देव विहार बनारस।।
🔱वरुणा और अस्सी के भीतर, है अनुपम विस्तार बनारस।
🔱जिसकी गली-गली में बसता, है सारा संसार बनारस।।
🔱एक बार जो आ बस जाता, कहता इसे हमार बनारस।
🔱विविध धर्म और भाषा-भाषी, रहते ज्यों परिवार बनारस।।
🔱वेद शास्त्र उपनिषद ग्रन्थ जो, विद्या के आगार बनारस।
🔱यहाँ ज्ञान गंगा संस्कृति की, सतत् प्रवाहित धार बनारस।।
🔱वेद पाठ मंत्रों के सस्वर, छूते मन के तार बनारस।
🔱गुरु गोविन्द बुद्ध तीर्थंकर, सबके दिल का प्यार बनारस।।
🔱कला-संस्कृति, काव्य-साधना, साहित्यिक संसार बनारस।
🔱शहनाई गूँजती यहाँ से, तबला ढोल सितार बनारस।।
🔱जादू है संगीत नृत्य में, जिसका है आधार बनारस।
🔱भंगी यहाँ ज्ञान देता है, ज्ञानी जाता हार बनारस।।
🔱ज्ञान और विज्ञान की चर्चा, निसदिन का व्यापार बनारस।
🔱ज्ञानी गुनी और नेमी का, नित करता सत्कार बनारस।।
🔱मरना यहाँ सुमंगल होता और मृत्यु श्रृंगार बनारस।
🔱काशी वास के आगे सारी, दौलत है बेकार बनारस।।
🔱एक लंगोटी पर देता है, रेशम को भी वार बनारस।
🔱सुबहे-बनारस दर्शन करने, आता है संसार बनारस।।
🔱रात्रि चाँदनी में गंगा जल, शोभा छवि का सार बनारस।
🔱होती भव्य राम लीला है, रामनगर दरबार बनारस।।
🔱सारनाथ ने दिया ज्ञान का, गौतम को उपहार बनारस।
🔱भारत माता मंदिर बैठी, करती नेह-दुलार बनारस।।
🔱नाग-नथैया और नक्कटैया, लक्खी मेले चार बनारस।
🔱मालवीय की अमर कीर्ति पर, जग जाता, बलिहार बनारस।।
🔱पाँच विश्वविद्यालय करते, शिक्षा का संचार बनारस।
🔱गंगा पार से जाकर देखो, लगता धनुषाकार बनारस।।
🔱राँड़-साँड़, सीढ़ी, संन्यासी, घाट हैं चन्द्राकार बनारस।
🔱पंडा-गुन्डा और मुछमुन्डा, सबकी है भरमार बनारस।।
🔱कहीं पुजैय्या कहीं बधावा, उत्सव सदाबहार बनारस।
🔱गंगा जी में चढ़े धूम से, आर-पार का हार बनारस।।
🔱फगुआ, तीज, दशहरा, होली, रोज़-रोज़ त्योहार बनारस।
🔱कुश्ती, दंगल, बुढ़वा मंगल, लगै ठहाका यार बनारस।।
🔱बोली ऐसी बनारसी है, बरबस टपके प्यार बनारस।
🔱और पान मघई का अब तक, जोड़ नहीं संसार बनारस।।
🔱भाँति-भाँति के इत्र गमकते, चौचक खुश्बूदार बनारस।
🔱छनै जलेबी और कचौड़ी, गरमा-गरम आहार बनारस।।
🔱छान के बूटी लगा लंगोटी, जाते हैं उस पार बनारस।
🔱हर काशी वासी रखता है, ढेंगे पर संसार बनारस।।
🔱सबही गुरु इहाँ है मालिक, ई राजा रंगदार बनारस।
🔱चना-चबेना सबको देता, स्वयं यहाँ करतार बनारस।।
🔱यहाँ बैठ कर मुक्ति बाँटता, जग का पालनहार बनारस।
🔱धर्म, अर्थ और काम, मोक्ष का, इस वसुधा पर द्वार बनारस।।
🔱मौज और मस्ती की धरती, सृष्टि का उपहार बनारस।
🔱अनुपम सदा बहार बनारस, धरती का श्रृंगार बनारस।।
*🚩🔱बनारसी के लोगों को समर्पित जिनका तन कहीं भी हो मन एंव मस्तिष्क बनारस में बसता है।🔱🚩*
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